Thursday, December 3, 2015

भोजपुरी

अन्हरिया बिता के अंजोरा में अइह धीरे से किली खोल देम,
सिकड़ी बजइह धीरे से किली खोल देम।
भोजपुरी गायकी के एगो बड़ नाम भरत शर्मा ब्यास के एह गीत में भोजपुरी बा, भोजपुरी के माटी बा, भोजपुरी के दर्द बा, भोजपुरी के बात बा अउर सबसे निक एहमे भोजपुरी बा ।
एह गाना के माध्यम से प्रेमिका के निच्छलता के बतावे के कोशिश बा। ई गाना बताव ता की भोजपुरी केतना निक बा, केतना स्वाथ्य बा।
एह गीत से भरत ब्यास कह तारे की काली रात बिता के अंजोरा में आव, नात लोग का कही कि एह कारी रात में कहा घर में समा तारे। एह गीत में बहुत कुछ बा। इ गीत अपने आप में भोजपुरी के आ ओह समाज के कइगो बात के अपने आप में समेट के दर्शन नियन आपना के प्रस्तुत करता। जे भी भोजपुरी समाज से बहार के लोग बा ओकरा भरत ब्यास के गीत जरूर सुने के चाही। भोजपुरी के जाने खातिर। भोजपुरी समाज खातिर।
हमार देवेन्द्र भैया भोजपुरी खातिर बहुत बड़ काम कर तानी.. उहा के खूब एह काम में सफल होइ, इहे हमार कामना बा।
जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया समाज।

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