तारीख थी 8 नवंबर, राष्ट्र को संबोधित करने जब प्रधानमंत्री आए, तो पूरे देश के मन में तरह-तरह के सवाल थे। मीडिया वाले पहले से ही वॉर रूम से हमला कर रहे थे। अब असली हमले का ऐलान होना बाकी था। तभी कुछ ऐसा हुआ जो अकल्पनीय था। किसी ने नहीं सोचा था कि इस घोषणा के बाद सारा देश इसके स्वागत के लिए अगले पचास दिन तक खड़ा रहेगा।
निर्णय इतना अच्छा था कि पचास दिन से कम खड़ा होकर इसका स्वागत नहीं किया जा सकता था। एक फकीर के लिए इससे बड़ी उपलब्धि क्या होगी कि सारा देश उसके फैसले के स्वागत के लिए खड़ा रहे। खड़ा होने की बेचैनी इतनी थी कि लोग सोते तक नहीं थे कि सुबह फैसले के स्वागत के लिए खड़ा होना है। कई लोग तो बैंक और एटीएम के सामने सोते थे कि फैसले के स्वागत में लेट न हो जाए।
इसके बाद महान राम जी माधव ने कहा कि इस समय जो भी लाइन में खड़ा होगा वहीं देशभक्त होगा। इतना सस्ता देशभक्ति का प्रमाण पत्र शायद ही कहीं मिलता हो। सो हम भी तीन बार खड़ा हो लिए। आगे कोई देशद्रोही कहे तो प्रमाण पत्र तो है अपने पास न, देशभक्ति का।
जो पार्टी देशभक्ति का प्रमाण पत्र देने का ठेका ले रखी है उसके कुनबे से कोई लाइन में खड़ा हुआ नजर नहीं आया। इसका मतलब यही हुआ न कि सारे के सारे देशद्रोही है या राष्ट्रद्रोही। लेकिन एक बात और, पैदा होते ही उन्हें देशभक्ति का प्रमाण पत्र मिल जाता है। क्योंकि, उनके पैदा होने पर मां-बाप यह नहीं कहते कि डॉक्टर या इंजीनियर पैदा हुआ है। वो कहते हैं देशभक्त पैदा हुआ है।
देखिए सरकार का फैसला है देश मानेगा ही। रोकर माने या हंस कर। क्या तैयारी है इस फैसले की ये तो सबको दिख ही रहा है। रोज-रोज बदलते नियम। अलग-अलग बयान। सब अपने-आप में हैरान करने वाला है।
पहले सरकार ने कहा कि ब्लैक मनी होल्डर बचेंगे नहीं। फिर फिफ्टी-फिफ्टी का नियम। अरे सीधा बोलते कि भारत की संस्कृति, परंपरा पर हमला करना है जो मेहनत के पैसों को घर में बचा कर रखते हैं। ताकि, विषमय परिस्थिति आने पर बैंक भागने की जरूरत न पड़े।
सीधा-सीधा कह देते कि ये काम हम बैंकों में पैसे की कमी को दूर करने के लिए कर रहे हैं। क्योंकि, आपके टैक्स का पैसा बड़े-बड़े औद्योगिक कार्य करने वाले लोगों को कर्ज के रूप में दिया गया है लेकिन उसे किसी ने लौैटाया नहीं। इस कारण बैंक में पैसे खत्म हो गए थे।
सीधा-सीधा कह देते कि हमें टैक्स के नाम पर पैसे वसूल कर सरकार के खजाने को भरना है। देश इस बात को भी स्वीकार कर लेता। रोने की क्या जरूरत थी। फकीर बनने की क्या जरूरत थी। प्रधानमंत्री होकर कायरता वाले बयान देने की क्या जरूरत थी। इतने उत्तरदायित्व वाले पद पर बैठ कर यह कहना कितना उचित था कि मैं तो झोला उठा कर चल दूंगा। इसका मतलब यही होता है न कि आप जिम्मेवारियों से भाग रहे हैं। भाग जाइए। क्या है। क्या होगा। यह देश बहुत महान है। बहुत कुछ झेला है। इसे भी झेल लेगा।
अब बात आंकड़ों की कर लेते हैं। सबसे जरूरी यही है।
-इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि नोटबंदी की वजह से रिजर्ब बैंक के पास कुल 12 लाख करोड़ 500 व 1000 के नोट वापस आ गए हैं। जबकि नोट जमा करने के लिए अभी करीब 20 दिन शेष हैं।
यानि तय तारीख तक बाकि के बचे तीन लाख करोड़ ₹500 व ₹1000 के नोट भी बैंकों में जमा हो जाएंगे। याद रखें कि नोटबंदी से पहले बाजार में तकरीबन कुल 16 लाख करोड़ 500 व 1000 के नोट दौड़ रहे थे। ये आंकड़े सरकार के उस दावे को खारिज करते हैं जिसमें उसे लगता था कि नोटबंदी से ब्लैकमनी को फ्रीज किया जा सकता है। यानि यह साबित हो गया है कि नोटबंदी पूरी तरह से फ्लॉप हो गई है।
सरकार को यह पता होना चाहिए कि ब्लैक मनी का करीब 6 फीसदी हिस्सा ही नोट की शक्ल में होता है। ब्लैक मनी का कारोबार जमीन, सोना इत्यादि के रूप में फलता-फूलता है।
गड़बड़ हिसाब
-रिजर्व बैंक का कहना है कि 1900 करोड़ नए नोट जारी किए गए। 4 लाख करोड़ रुपए मार्केट में डाले गए। अगर 2000 के नोट को शून्य मान लें और ये भी मान लें कि 1900 करोड़ नोट सिर्फ़ 500 रुपए के जारी किए गए, तब भी ये आंकड़ा होता है 9 लाख 50 हज़ार करोड़ रुपए। अगर आधा पांच सौ और आधा 2000 के नोट को मिला दें तो आंकड़ा होता है 23 लाख 75 हज़ार करोड़ रुपए।
अब रिजर्व बैंक बता दें कि कितने के नोट जारी किए। क्या सब पांच, दस, बीस, पचास का था या रिजर्व बैंक का हिसाब भी गड़बड़ हो रहा है।
जब सबकुछ फेल हो गया है तो सरकार ध्यान भटकाने के लिए कह रही है कि कैशलेस करेंगे। अरे दादा, कैसे कर दोगे। मजाक समझ लिए हो क्या? कितने लोगों के पास इंटरनेट है। इंटरनेट है भी तो कितनों के पास हाई स्पीड वाला है। देश बीजेपी का आईटी सेल नहीं है। जहां अनलिमिटेड डेटा हाई स्पीड में मिलता है।
देश की आबादी एक अरब तीस करोड़। आपके पूरे देश में कार्ड रीडर कि संख्या- 14 लाख। क्रेडिट कार्ड सिर्फ 2.60 करोड़ लोगों के पास। पूरे देश में सड़क और बिजली पहुंचा नहीं पाए, चले हैं कैशलेस करने। सपने देखिए। लेकिन साथ में सच्चाई भी जानिए।
कैशलेस की बात करते हैं लेकिन क्रेडिट और डेबिट कार्ड से खरीददारी पर सर्विस टैक्स लगता है उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं। कोई क्यों कार्ड से पेमेंट करेगा अगर कैश देने में कम से हो जाएगा तो। कैशलेस की बात करेंगे लेकिन उसको बढ़ाने का उपाय कौन करेगा? दामोदर ट्रंप करेंगे क्या, हिन्दू हृदय सम्राट।
बहुत झेला लिए हो दादा। अब न हो पाएगा। देश से नहीं, तुमसे न हो पाएगा। देश गुजरात नहीं है और गुजरात देश का प्रतिनिधित्व भी नहीं करता।
चलो, बहुत बकैती हो गई। भाई सरकार और मोदी का इसमें कोई दोष नहीं है। सारा का सारा दोष तो उस मनहूस 8 नवंबर का है जिसने देश को लाइन में खड़ा कर दिया। बिना मतलब के लोग मोदी और बीजेपी को दोष दे रहे हैं।
good -modi aur bjp ke dusre logon jaitly-rajnath ....aadi ko laton aur ghoonson se peetna chahiye aur latiyana chahiye- pehli maine bjp ko vote deker badi galti maine ki
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