यायावर
moving from one city to other this is why यायावर. a media worker. want to learn, know new thing. so, here on blog to learn, know and gain some knowledge.
Sunday, February 19, 2017
Monday, February 13, 2017
विश्व रेडियो दिवस, मैं और बीबीसी हिन्दी
आज विश्व रेडियो दिवस है। कल राजस्थान पत्रिका के संडे जैकेट पर इससे जुड़ी खबर थी। अखबार की हेडलाइन थी 'रेडियो ऐट 94 फिर भी नॉटआउट' मुझे लगा कि अभी भी रेडियो को भारत में आए मात्र 94 साल ही हुए। मैं ये समझता था कि ये जन्म-जन्मांतर से है। हमारे साथ, आसपास, दिल में, घरों में, सड़कों पर, गाड़ियों में, रिक्शा पर और दुकानों में।
Wednesday, February 8, 2017
ठंडी हवा के झोंके चलते हैं हल्के हल्के, ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कल के।
ठंडी हवा के झोंके चलते हैं हल्के हल्के
ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कल के
चलते हैं वो भी हमसे तेवर बदल-बदल के
जिनको सिखाया हमने चलना सम्भल-सम्भल के
ऐसे में दिल न तोड़ो वादे करो न कल के
शाकी ने आज मुझको ऐसे नजर से देखा
मौसम हुआ गुलाबी, रंगीन जाम छलके
ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कल के
ठंडी हवा के झोकें चलते हैं हल्के हल्के
विस्तर की सिलवटों ये महसूस हो रहा है
तोड़ा है दम किसी ने करवट बदल-बदल के
ऐसे में दिल न तोड़ो वादे करो न कल के
नोट- किसी का गाया हुआ गजल
ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कल के
चलते हैं वो भी हमसे तेवर बदल-बदल के
जिनको सिखाया हमने चलना सम्भल-सम्भल के
ऐसे में दिल न तोड़ो वादे करो न कल के
शाकी ने आज मुझको ऐसे नजर से देखा
मौसम हुआ गुलाबी, रंगीन जाम छलके
ऐसे में दिल न तोड़ो, वादे करो न कल के
ठंडी हवा के झोकें चलते हैं हल्के हल्के
विस्तर की सिलवटों ये महसूस हो रहा है
तोड़ा है दम किसी ने करवट बदल-बदल के
ऐसे में दिल न तोड़ो वादे करो न कल के
नोट- किसी का गाया हुआ गजल
Wednesday, December 14, 2016
Thursday, December 8, 2016
सारा दोष 8 नवंबर का, जिसने देश को लाइन में खड़ा कर दिया
तारीख थी 8 नवंबर, राष्ट्र को संबोधित करने जब प्रधानमंत्री आए, तो पूरे देश के मन में तरह-तरह के सवाल थे। मीडिया वाले पहले से ही वॉर रूम से हमला कर रहे थे। अब असली हमले का ऐलान होना बाकी था। तभी कुछ ऐसा हुआ जो अकल्पनीय था। किसी ने नहीं सोचा था कि इस घोषणा के बाद सारा देश इसके स्वागत के लिए अगले पचास दिन तक खड़ा रहेगा।
Monday, November 14, 2016
सोनम गुप्ता बेवफा है। Sonam Gupta Bewafa Hai
बात है दो हजार आठ की। कांग्रेस की सरकार ने दो साल लेट करके केंद्रीय कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का तोहफा दिया था। दो साल बाद मिले इस तोहफे ने सरकारी कर्मचारियों को मालामाल कर दिया था। क्योंकि साथ में दो साल पीछे से जोड़कर पैसा मिला था। टन्नू भैया के पापा भी केंद्रीय कर्मचारी थे। घर वालों को टन्नू भैया से बड़ी उम्मीदें थी। पैसा आया तो टन्नू भैया को जयपुर पढ़ने के लिए भेजा गया।
Thursday, November 3, 2016
किसी खास के लिए आम रह कर जीना किताना मुश्किल है
बहुत मुश्किल हो जाता है उसके साथ जीना जिसके आप खास हो या कोई आपका खास हो। मुश्किल इसलिए कि आप अपनी तरह से या सामने वाला खुद की तरह से नहीं रहता। एक बनावटीपन आ जाता है दोनों के बीच में। बढ़ते रहने वाले समय के साथ इसको मिला के चलना एक बेहद ही मुश्किल टास्क हो जाता है।
एक सतरंज का खेल बन जाता है यह रोज का जीवन। जिसमें आपको सामने वाले के चाल का इंतजार करना पड़ता है। एक गलती आपको खेल से बाहर कर सकती है। आप दूसरे के चाल का इंतजार करते हैं, फिर अपनी चाल के लिए तैयार होते हैं। आपकी चाल ऐसी होती है कि आप जीतना नहीं चाहते, इसके अलावा आपको यह भी ध्यान रखना पड़ता है कि सामने वाला हारे भी न, आपकी चाल की वजह से।
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