Sunday, February 19, 2017

ऑनरेबल कोर्ट के आदेशों को अंगूठा दिखाते नजर आए प्रधान सेवक

चुनाव, राजनीति और आम जीवन।

यूपी में चुनाव चल रहा है। कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर जाता है।




पहली बात 'ऑनरेबल' सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकते। ठीक है। फैसला कोर्ट का था, नेताओं का नहीं। धरा का धरा रह गया। प्रधान सेवक ने आज बोलते हुए दिवाली, ईद और रमजान का जिक्र किया। श्मशान और कब्रिस्तान पर भी बोले। ये सब धार्मिक में नहीं आता।

धार्मिक में मुज़फ्फर नगर आता है। इसलिए वहां की बात इस बार नहीं की गई। बात हुई तो विस्थापन पर जिसको हुकुम सिंह ने उठाया था। बीजेपी के सांसद ने। मामला फेल हो गया। लेकिन धार्मिक नहीं था। अच्छी बात है। देश की पार्टियां धार्मिकता से दूर हैं। प्रधान सेवक के भाषण से यही समझ आया।

आप सब जानते हैं कि जब एग्जाम की तैयारी अधूरी या फ़ेल होना का डर होता है तो हम भगवन को याद करते हैं और धार्मिक हो जाते हैं।

अब समझ में आ रहा इस धार्मिकता का मतलब। जब क्लास हुई तो पढें नहीं। अब फर्स्ट क्लास से पास होना है। असंभव है। 11 का इतंजार है।

अगर पास हो भी गए तो आईआईटी या एनआईटी में एडमिशन नहीं मिलने वाला। प्राइवेट कॉलेज वाला हाल रहेगा। मतलब प्लेसमेंट का झमेला।

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