Friday, October 30, 2015

अवॉर्ड लौटाओ प्रतियोगिता

देश में अवार्ड लौटाओ प्रतियोगिता शुरू हो गई है... पहले 'जाने माने' साहित्यकारों ने एक दूसरे से स्पर्धा कर के अवॉर्ड लौटाए... अब ये स्पर्धा साहित्यकारों से होते हुए फ़िल्मकारों के बिच पहुँच गई है... साला दिल्ली और मुम्बई के आलिशान घरों में रहने वाले लोगों को अचानक ये लग गया की भारत का माहौल ख़राब हो गया है...लिखने बोलने पर पाबन्दी लग गई है... कोई फ़िल्म नहीं बनाने दिया जा रहा है... संविधान से मिली ताकतों को छिना जा रहा है... हाय तौबा मचाए हुए है.... देश में किसान मर रहे है उसकी कोई चिंता नहीं है... पूर्वांचल और बिहार में सुखाड़ से धान की फसले तबाह हो गई है.... ये किसी को नज़र नहीं आ रहा है... एक कलबुर्गी को गुंडों ने मार दिया(पुलिस और कानून लगा हुआ है आरोपियों को पकड़ने के लिए) गजेन्द्र चौहान को FTII डायरेक्टर का क्या बना दिया गया... सारा का सारा एलीट क्लास घबरा गया है देश के हालात से.... ऐसा लग रहा जैसे गजेन्द्र चौहान FTII के छात्रों की कला को, क्रिएटिविटी को उनके दिमाग से निकाल कर बीजेपी को दे रहे हैँ और कलबुर्गी की आत्मा साहित्यकारों के कलम में घुस कर उनको लिखने नहीं दे रही है... काश किसानों की आत्महत्याएँ इन एलीट क्लास के लोगों की डाइनिंग टेबल पर पहुँच जाती.... काश बेरोजगारों की परेशानियां इनके बैंक बैलेंस पर इफ़ेक्ट डाल देती और तब ये अवॉर्ड लौटाते तो देश का कुछ भला हो जाता... पता नहीं किस मानसिकता से ग्रसित हो गया है हमारा एलीट क्लास की एक ऐसी संवादहीनता का खाई बना रहा है जो की समस्याओं का समाधान नहीं करेगा बल्कि उसको और बढ़ा रहा है.... जो भी अवॉर्ड लौटा रहे वो बहुत ही पढ़े लिखे लोग है उन्हें पता ही होगा कि साहित्य भारती स्वायत्त संस्था है और फिल्मकारों को अवॉर्ड सरकार नहीं देती है.. खैर जो भी हो एयरटेल का एक एड आता था उसका टैग लाइन था 'बात करने से बात बनती है'.... बात चीत करिए संवादहीनता पैदा मत करिए और समस्याओं का समाधान बात कर के निकालिए क्यों कि बात करने से बात बनती है...

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