बहुत हो हल्ला मचा है कि राहुल ने, एक गाँधी ने, राहुल गांधी ने जवानों के खून पर बीजेपी को दलाली करने का आरोप लगाया है। गलत क्या है भाई। क्या गलत कहा है। इतना भावुक मत हो जाइए। चिल्लाने वालों से विशेष अनुरोध है। अपने और अपनी पार्टी के बारे में जान लीजिए तब दलाली के मतलब को समझाइए।
VSNL के बारे में थोड़ा पढ़ लीजिये, थोड़ा सा TCS को जान लीजिए, जरा सा आतंकवादियों को पाकिस्तान पहुचाया गया था उसे पढ़ लीजिये, वक़्त मिले तो सरकार किस कारण PF को 14 से 8 कर दी थी ये भी जान लीजिए, इन सब के बाद भी मौका मिले तो थोड़ा सा सत्येंद्र दुबे कोई था उसके बारे में पढ़ लीजिएगा। फिर दलाली पर बात करेंगे तो ज्यादा मजा आएगा।
चर्चा-ए-आम होनी चाहिए। एक तरफ़ा नहीं। मीडिया ड्रिवेन नहीं। कब तक यह कह कर अपने नाकामियों को छुपाते रहेंगे कि कांग्रेस ने इतने साल राज किए इसलिए देश का ये हाल है। आपकी समर्थन वाली सरकार शायद 77 में भी बनी। 80 के दशक के बाद कई बार आपके समर्थन वाली सरकार बनी। उस समय से लेकर आप लोग बस यही कहते रहे कि कांग्रेस ने इतने सालों तक राज किया तो हमें टाइम लगेगा। आप लोग आज भी यही कहते हैं।
सीधा बोल दीजिए न कि कांग्रेस जितने साल सरकार चलाई उतने साल चलने के बाद ही जवाबदेह बनेंगे। हम भी ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लेंगे आपकी बातों को। दूसरे पर अपनी गलतियों को थोपने को शायद दलाली नहीं कहा जाता है, जहां तक मैं जानता हूं। खैर। 21वीं सदी है। देश रूस को छोड़कर अमरीका हो गया है। ये भी दलाली नहीं है।
NAM के बारे में लोग जानते होंगे। राष्ट्रीय पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इसे पोस्टपोन किया गया था(यह पिछले साल होने वाला था, इस साल आयोजित हुआ)। लेकिन राष्ट्रीय पीएम अमरीका की दलाली सॉरी दोस्ती में इतने व्यस्त हो गए कि इस बार भी नहीं जा पाएं। खैर ये डिप्लोमैटिक मामला है। दलाली नहीं।
आपके पास का दोस्त, सबसे पुराना दोस्त पाक के साथ क्या क्या कर रहा है ये लोग ख़बरों में पढ़ते हैं। ऐसा क्यों है? ये भी डिप्लोमैटिक मामला है। इसके लिए भी सवाल पूछना है तो इतने सालों तक राज करने वाली कांग्रेस से पूछिए।
छोड़िए सब। मुद्दे पर आते हैं। सेना के जवानों के खून का यह सरकार दलाली ही कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो इसे बेचा नहीं जाता। जिनकी सरकार है वो लोग बेचने में माहिर हैं। मौका मिले तो देश बेच दें, अभी सेना को ही बेचा है।
अभी तक इस देश में कई सरकारें बनी, सबने उरी जैसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया। इससे भी भयावह स्थिति कर दी थी पाक की। लेकिन इन चीजों से राजनीतिक फायदा या इसे बेचने की कोशिश इस देश ने कभी नहीं की। लेकिन इस बार जवानों के खून की जमकर दलाली की जा रही है। सिर्फ और सिर्फ राजनीती के लिए। कुछ वोट के लिए। कुछ सीट के लिए।
राहुल गांधी ने बस ये गलती कर दी है कि उन्होंने सच बोल दिया है। सेना के लोग भी जानते हैं कि जैसे राष्ट्रीय पीएम ने बलोचिस्तान पर बोल कर दुनिया के नजरों में भारत की साख को कम किया है वैसे ही जवानों के खून की दलाली कर भी मोदी वही कर रहे हैं।
अंततः- आप तो सिर्फ वोट के लिए सेना के जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं, लेकिन यह टीवी मीडिया और सोशल मीडिया ऐसी दलाली कर रहा है जिससे सिर्फ देश को, देश के लोगों को, देश की सेहत को, देश का जो मूल है उसे ख़त्म करने का काम चल रहा है। ऐसी चीजों को भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया है, न करेगा।
आप लाशों की, जवानों की, खून की, देश की आत्मा की दलाली करते रहिए, लेकिन यह याद रखिएगा जो अभी हो रहा है उसका देश के अंदर व बाहर जो दूरगामी परिणाम आएगा वो ठीक नहीं होगा।
VSNL के बारे में थोड़ा पढ़ लीजिये, थोड़ा सा TCS को जान लीजिए, जरा सा आतंकवादियों को पाकिस्तान पहुचाया गया था उसे पढ़ लीजिये, वक़्त मिले तो सरकार किस कारण PF को 14 से 8 कर दी थी ये भी जान लीजिए, इन सब के बाद भी मौका मिले तो थोड़ा सा सत्येंद्र दुबे कोई था उसके बारे में पढ़ लीजिएगा। फिर दलाली पर बात करेंगे तो ज्यादा मजा आएगा।
चर्चा-ए-आम होनी चाहिए। एक तरफ़ा नहीं। मीडिया ड्रिवेन नहीं। कब तक यह कह कर अपने नाकामियों को छुपाते रहेंगे कि कांग्रेस ने इतने साल राज किए इसलिए देश का ये हाल है। आपकी समर्थन वाली सरकार शायद 77 में भी बनी। 80 के दशक के बाद कई बार आपके समर्थन वाली सरकार बनी। उस समय से लेकर आप लोग बस यही कहते रहे कि कांग्रेस ने इतने सालों तक राज किया तो हमें टाइम लगेगा। आप लोग आज भी यही कहते हैं।
सीधा बोल दीजिए न कि कांग्रेस जितने साल सरकार चलाई उतने साल चलने के बाद ही जवाबदेह बनेंगे। हम भी ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लेंगे आपकी बातों को। दूसरे पर अपनी गलतियों को थोपने को शायद दलाली नहीं कहा जाता है, जहां तक मैं जानता हूं। खैर। 21वीं सदी है। देश रूस को छोड़कर अमरीका हो गया है। ये भी दलाली नहीं है।
NAM के बारे में लोग जानते होंगे। राष्ट्रीय पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इसे पोस्टपोन किया गया था(यह पिछले साल होने वाला था, इस साल आयोजित हुआ)। लेकिन राष्ट्रीय पीएम अमरीका की दलाली सॉरी दोस्ती में इतने व्यस्त हो गए कि इस बार भी नहीं जा पाएं। खैर ये डिप्लोमैटिक मामला है। दलाली नहीं।
आपके पास का दोस्त, सबसे पुराना दोस्त पाक के साथ क्या क्या कर रहा है ये लोग ख़बरों में पढ़ते हैं। ऐसा क्यों है? ये भी डिप्लोमैटिक मामला है। इसके लिए भी सवाल पूछना है तो इतने सालों तक राज करने वाली कांग्रेस से पूछिए।
छोड़िए सब। मुद्दे पर आते हैं। सेना के जवानों के खून का यह सरकार दलाली ही कर रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है। अगर ऐसा नहीं होता तो इसे बेचा नहीं जाता। जिनकी सरकार है वो लोग बेचने में माहिर हैं। मौका मिले तो देश बेच दें, अभी सेना को ही बेचा है।
अभी तक इस देश में कई सरकारें बनी, सबने उरी जैसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया। इससे भी भयावह स्थिति कर दी थी पाक की। लेकिन इन चीजों से राजनीतिक फायदा या इसे बेचने की कोशिश इस देश ने कभी नहीं की। लेकिन इस बार जवानों के खून की जमकर दलाली की जा रही है। सिर्फ और सिर्फ राजनीती के लिए। कुछ वोट के लिए। कुछ सीट के लिए।
राहुल गांधी ने बस ये गलती कर दी है कि उन्होंने सच बोल दिया है। सेना के लोग भी जानते हैं कि जैसे राष्ट्रीय पीएम ने बलोचिस्तान पर बोल कर दुनिया के नजरों में भारत की साख को कम किया है वैसे ही जवानों के खून की दलाली कर भी मोदी वही कर रहे हैं।
अंततः- आप तो सिर्फ वोट के लिए सेना के जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं, लेकिन यह टीवी मीडिया और सोशल मीडिया ऐसी दलाली कर रहा है जिससे सिर्फ देश को, देश के लोगों को, देश की सेहत को, देश का जो मूल है उसे ख़त्म करने का काम चल रहा है। ऐसी चीजों को भारत ने कभी स्वीकार नहीं किया है, न करेगा।
आप लाशों की, जवानों की, खून की, देश की आत्मा की दलाली करते रहिए, लेकिन यह याद रखिएगा जो अभी हो रहा है उसका देश के अंदर व बाहर जो दूरगामी परिणाम आएगा वो ठीक नहीं होगा।
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