Thursday, December 3, 2015

HUSNA BY PIYUSH MISHRA IN MTV COKE STUDIO

लाहौर के उस 
पहले जिले के 
दो परगना में पहुंचे 
रेशम गली के 
दूजे कूचे के 
चौथे मकां में पहुंचे 
और कहते हैं जिसको 
दूजा मुल्क उस
पाकिस्तां में पहुंचे 
लिखता हूँ ख़त में 
हिन्दोस्तां से
पहलू-ए हुसना पहुंचे 
ओ हुसना

मैं तो हूँ बैठा 
ओ हुसना मेरी 
यादों पुरानी में खोया 
पल-पल को गिनता 
पल-पल को चुनता
बीती कहानी में खोया 
पत्ते जब झड़ते 
हिन्दोस्तां में 
यादें तुम्हारी ये बोलें
होता उजाला हिन्दोस्तां में
बातें तुम्हारी ये बोलें
ओ हुसना मेरी
ये तो बता दो 
होता है, ऐसा क्या 
उस गुलिस्तां में 
रहती हो नन्हीं कबूतर सी
गुमसुम जहाँ 
ओ हुसना

पत्ते क्या झड़ते हैं 
पाकिस्तां में वैसे ही 
जैसे झड़ते यहाँ 
ओ हुसना
होता उजाला क्या
वैसा ही है 
जैसा होता हिन्दोस्तां यहाँ 
ओ हुसना 

वो हीरों के रांझे के नगमें 
मुझको अब तक, आ आके सताएं 
वो बुल्ले शाह की तकरीरों के
झीने झीने साये 
वो ईद की ईदी 
लम्बी नमाजें 
सेंवैय्यों की झालर
वो दिवाली के दीये संग में 
बैसाखी के बादल 
होली की वो लकड़ी जिनमें
संग-संग आंच लगाई
लोहड़ी का वो धुआं जिसमें
धड़कन है सुलगाई 
ओ हुसना मेरी 
ये तो बता दो
लोहड़ी का धुंआ क्या
अब भी निकलता है 
जैसा निकलता था
उस दौर में हाँ वहाँ
ओ हुसना

क्यों एक गुलसितां ये 
बर्बाद हो रहा है 
एक रंग स्याह काला 
इजाद हो रहा है 

ये हीरों के, रांझों के नगमे 
क्या अब भी, सुने जाते है हाँ वहाँ 
ओ हुसना
और
रोता है रातों में
पाकिस्तां क्या वैसे ही
जैसे हिन्दोस्तां 
ओ हुसना
पियूष मिश्र का लिखा हुआ, कंपोज़ किया हुआ और गाया हुआ गाना।
एम टीवी कोक स्टूडियो का बेहतरीन गीत।

भोजपुरी

अन्हरिया बिता के अंजोरा में अइह धीरे से किली खोल देम,
सिकड़ी बजइह धीरे से किली खोल देम।
भोजपुरी गायकी के एगो बड़ नाम भरत शर्मा ब्यास के एह गीत में भोजपुरी बा, भोजपुरी के माटी बा, भोजपुरी के दर्द बा, भोजपुरी के बात बा अउर सबसे निक एहमे भोजपुरी बा ।
एह गाना के माध्यम से प्रेमिका के निच्छलता के बतावे के कोशिश बा। ई गाना बताव ता की भोजपुरी केतना निक बा, केतना स्वाथ्य बा।
एह गीत से भरत ब्यास कह तारे की काली रात बिता के अंजोरा में आव, नात लोग का कही कि एह कारी रात में कहा घर में समा तारे। एह गीत में बहुत कुछ बा। इ गीत अपने आप में भोजपुरी के आ ओह समाज के कइगो बात के अपने आप में समेट के दर्शन नियन आपना के प्रस्तुत करता। जे भी भोजपुरी समाज से बहार के लोग बा ओकरा भरत ब्यास के गीत जरूर सुने के चाही। भोजपुरी के जाने खातिर। भोजपुरी समाज खातिर।
हमार देवेन्द्र भैया भोजपुरी खातिर बहुत बड़ काम कर तानी.. उहा के खूब एह काम में सफल होइ, इहे हमार कामना बा।
जय भोजपुरी, जय भोजपुरिया समाज।

Tuesday, November 24, 2015

INCREDIBLE_INDIA #INTOLERANT_INDIA
#अतुल्य_भारत #असहिष्णु_भारत
धुर्रर्रर्र बुड़बक......
हमार बेटवा जो बोला है उ तो अपेक्षित था लेकिन इस सब जो हल्ला किया है उ उपेक्षित है...
धुर्रर्रर्रर

Chhath

छठ बीत गया..
बिहार,पूर्वी भारत का एक राज्य जहां छठ एक पर्व नहीं पहचान है. छठ को बीते हुए 3 दिन हो गए पर मैं न छठ पर घर जा सका और न ही जहाँ रहता हूं वहां कही भाग ले पाया.
जिस दिन छठ था उस दिन मैं नौकरी कर रहा था और मन ही मन एक सच्चाई को स्वीकार कर रहा था कि शायद अब मैं बड़ा हो गया हूं और मेरे ऊपर कुछ जिम्मेवारियां भी आ गई है. मन इस सच्चाई को स्वीकार करने को तैयार नहीं था तभी मेरे गांव के एक दोस्त का फ़ोन आया और उसने पूछा कि क्या तुम घर पर हो, मैंने बहुत ही धीमी आवाज में उसको जवाब दिया- नहीं.. इस आवाज को वो पहचान चूका था, दर्द को समझ गया था फिर उसने न गांव की बात की और न ही छठ की. क्योंकि दोनों मजबूर थे और जब मज़बूरी एक ही हो तो रोना क्या और परेशान क्यों होना. हम दोनों कुछ और बात करने लगे और फिर बात ख़त्म हो गई. उसके फ़ोन के बाद से मैं सोचने लगा कि छठ बिहार के लिए एक पर्व है या कुछ और ?
जवाब ढूंढने की कोशिश तो किया लेकिन ये सोचते सोचते मैं अपने गांव पहुच गया वो गांव जहा मैं हर साल छठ में हुआ करता था.
सच कहूं तो छठ क्या है और उसके क्या मायने है यह बात एक बिहार से दूर रहने वाले बिहारी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता.
जैसे सारे पर्व कॉर्पोरेट के भेंट चढ़ गए है उस से छठ भी अछूता नहीं है. छठ के दो दिन पहले से न्यूज़पेपर ये बताने लगे कि इस बार छठ पर कितने का कारोबार होने वाला है और किस चीज पर कितना लोग खर्च करने वाले है. खैर ये तो दूसरा विषय है.
केरवा जे फरे ला धवध से जब बजने लगता है तब से लेकर जब तक यह बजना बंद नहीं हो जाता तब तक बिहार बिहार नहीं रहता है यह अमेरिका, लन्दन, बॉम्बे और कोलकाता हो जाता है और पूरा बिहार कुछ दिनों के लिए विश्व हो जाता है
चाचा, दादा, मामा और भैया इंजीनियर साहब, वीडियो साहब, डीएम साहब हो जाते है और पूरा का पूरा प्रशासनिक विभाग और सरकार बिहार के हर छठ घाट पर मौजूद मिलता है.
छठ हमे अपनों से मिलवाता है और इस पल का हम साल भर इंतजार करते है. छठ एक ऐसा मौका होता है जब हम उन सभी लोगों से मिलते है और जानते है की बड़का पापा के लइका का कर ता आ फलानि दीदी के कवना क्लास में एडमिशन भइल बा ??
छठ के समय आप विशिष्ट होते है और बिहार भी क्योकि छठ बहुत ही पवित्र और लोक आस्था का महान पर्व है. अभी तक मै छठ के बारे में यही समझ पाया हूं. शायद कुछ और साल बाद इस से कुछ बेहतर समझ सकु छठ के बारे में !

SNEHA KHANWALKAR

फिर से एक बार हो बिहार में बहार हो,
फिर से एक बार हो नीतिशे कुमार हो।
यह गाना पूरे चुनाव भर किसी चैनल पर नहीं बजा, आज यह गाना सारे न्यूज़ चैनेलों का सिग्नेचर ट्यून बन गया है... यह गाना हारमोनियम, ढोलक, झाल से लेकर ड्रम और गिटार की म्यूजिक के साथ फोल्क और मॉडर्न म्यूजिक का फ्यूज़न है... इस गाने में मेरे गांव की खुसबू है तो विदेशिया धुन भी... इस गाने की तरह ही बिहार विकाश के रास्ते पर गांव की खुसबू को समेटे हुए विदेशी डेवलपमेंट के फ्यूज़न को समेट कर बहुत आगे पहुँचे और सच में बिहार में बहार आ जाए।
एक राजघराने से सम्बन्ध रखने वाली स्नेहा खनवलकर का कमाल का म्यूजिक.. इस गाने को कम कर मत आकियेगा, इस गाने में बिहार है और बिहार की बोली है तभी तो नीतीश कुमार नीतिशे कुमार बन गए है...यह गाना लोगों को भी खूब भाया भी है और अपने तरफ खीच कर वोट भी जरूर दिलाया होगा..
कमाल का गाना।
#SNEHA_KHANWALKAR_BIHAR_ME_BAHAR_HO_NITISHE_KUMAR_HO.

Saturday, October 31, 2015

मैं और आलम

जब मैं 1 बजे रात को ऑफिस से घर आता हूं तब मेरे घर के बगल में रहने वाला आलम और उसके 5 मित्र बगैर खाये मेरा इंतजार कर रहे होते है सिर्फ इसलिए कि भैया अकेले है और अभी खाना बना के खाएंगे तो हमारा उनका पड़ोसी हो कर क्या फायदा... ऑफिस से आते ही आलम मेरे को बुला कर ले जाते है और जब ये कहते है कि भैया आपका और 1 बजे का इंतजार कर रहे थे कि कौन पहले हमारे साथ होता है और आप बाजी मार गए तब लगता है कि मेरे देश को कोई कुछ नहीं कर सकता.... कोई कितना भी कुछ कर लें.....जड़े मजबूत हो तो शाखों को कोई नहीं हिला सकता है....
#सत्य_आलम_और_मैं

Friday, October 30, 2015

BJP

विकाश को आपने छोड़ा... जातीयता को आपने अपनाया....देश में बदलाव को आपने रोका... साख निर्धारण कंपनी जैसे हिंदी के शब्द आपने ईजाद किया...सरकार में किसानों का मुद्दा आपने अलग किया.... कब तक ये होता रहेगा शायद इसका भी निर्धारण सुप्रीम कोर्ट को न करना पड़े.... हम इतने हदास हो गए है जिसका कोई जवाब नहीं है.....जात-पात कभी संघ के मुद्दे रहे ही नहीं... आपने जबरदस्ती भाजपा के मुंह में ये सब डाला और संघ के मुंह में डाला... चुनावी राजनीति है जीत हार होते रहता है... पर हर एक बात के लिए मेरे मीडिया भाजपा को दोषी मत बनाओ।

अवॉर्ड लौटाओ प्रतियोगिता

देश में अवार्ड लौटाओ प्रतियोगिता शुरू हो गई है... पहले 'जाने माने' साहित्यकारों ने एक दूसरे से स्पर्धा कर के अवॉर्ड लौटाए... अब ये स्पर्धा साहित्यकारों से होते हुए फ़िल्मकारों के बिच पहुँच गई है... साला दिल्ली और मुम्बई के आलिशान घरों में रहने वाले लोगों को अचानक ये लग गया की भारत का माहौल ख़राब हो गया है...लिखने बोलने पर पाबन्दी लग गई है... कोई फ़िल्म नहीं बनाने दिया जा रहा है... संविधान से मिली ताकतों को छिना जा रहा है... हाय तौबा मचाए हुए है.... देश में किसान मर रहे है उसकी कोई चिंता नहीं है... पूर्वांचल और बिहार में सुखाड़ से धान की फसले तबाह हो गई है.... ये किसी को नज़र नहीं आ रहा है... एक कलबुर्गी को गुंडों ने मार दिया(पुलिस और कानून लगा हुआ है आरोपियों को पकड़ने के लिए) गजेन्द्र चौहान को FTII डायरेक्टर का क्या बना दिया गया... सारा का सारा एलीट क्लास घबरा गया है देश के हालात से.... ऐसा लग रहा जैसे गजेन्द्र चौहान FTII के छात्रों की कला को, क्रिएटिविटी को उनके दिमाग से निकाल कर बीजेपी को दे रहे हैँ और कलबुर्गी की आत्मा साहित्यकारों के कलम में घुस कर उनको लिखने नहीं दे रही है... काश किसानों की आत्महत्याएँ इन एलीट क्लास के लोगों की डाइनिंग टेबल पर पहुँच जाती.... काश बेरोजगारों की परेशानियां इनके बैंक बैलेंस पर इफ़ेक्ट डाल देती और तब ये अवॉर्ड लौटाते तो देश का कुछ भला हो जाता... पता नहीं किस मानसिकता से ग्रसित हो गया है हमारा एलीट क्लास की एक ऐसी संवादहीनता का खाई बना रहा है जो की समस्याओं का समाधान नहीं करेगा बल्कि उसको और बढ़ा रहा है.... जो भी अवॉर्ड लौटा रहे वो बहुत ही पढ़े लिखे लोग है उन्हें पता ही होगा कि साहित्य भारती स्वायत्त संस्था है और फिल्मकारों को अवॉर्ड सरकार नहीं देती है.. खैर जो भी हो एयरटेल का एक एड आता था उसका टैग लाइन था 'बात करने से बात बनती है'.... बात चीत करिए संवादहीनता पैदा मत करिए और समस्याओं का समाधान बात कर के निकालिए क्यों कि बात करने से बात बनती है...

BJP WINNING IN BIHAR

जितना माहौल बनाना है बना लीजिए, जितना हंगामा करना है कर लीजिए, जितना हाय तौबा करना है कर लीजिए.... खूब अगड़ा पिछड़ा कीजए...खूब जात-पात कीजिए... खूब मेजोरिटी-माइनॉरिटी कीजिए.... 4-5 और पार्टियों से अपने पक्ष में वोट मंगवा लीजिए.... एक अदद नरेंद्र मोदी ने आप सबके नाक में पानी कर दिया है तो आपको संभल जाना चाहिए था... खैर छोड़िए 8 को कमल खिल रहा है।

Thursday, October 29, 2015

INDIAN MEDIA

मुम्बई मंथन हो रहा है.... ऐसा लग रहा है जैसे भारत के एक ही राज्य की सरकार का एक साल का हुआ है.. आज तक जी हरियाणा में भी सरकार का एक साल इसी 26 को हुआ था उस पर भी चंडीगढ़ मंथन या गुडगांव मंथन करा लिए होते, झारखण्ड में भी सरकार का एक साल होगा लेकिन भारत की मीडिया कभी दिल्ली और मुम्बई से आगे बढ़ ही नहीं पाई है. मुद्दा इनको केवल दिल्ली और मुम्बई में ही मिलता है. साला मुम्बई, दिल्ली नहीं होता तो इनकी कारगुजारी ही नहीं चलती खैर चलिए कहीं तो फोकस है. बात ये हैं की जहा फोकस है वहा भी कुछ खाश असर नहीं पड़ रहा है. आप चिल्लाते रहिये वहा तो कुछ होगा नहीं. छोटे शहरों पर मीडिया अगर फोकस करती है तो वहा कुछ असर पड़ता है और तरीके का असर पड़ता है पर बड़े शहर वाले तो इनके आदि हो गए है और कुछ सुनते भी नहीं, वो जानते है की हंगामा मचाना इनका काम है और हमे जो करना है वो करते रहना चाहिए. थोड़ा छोटे शहरों पर ध्यान देंगे तो वहा का कुछ भला भी हो जाएगा क्यों कि छोटे शहर के अधिकारी और लोग मीडिया को बहुत कुछ मानते एवं सम्मान करते है. हे मेरे मीडिया कुछ भला करिये इस देश का नहीं तो आप भी नेताओं की तरह सम्मानित हो जायेंगे और लोग आपको भी माला पहनाने लगेंगे, हे मेरे मीडिया आपको तो पता ही होगा की माला किसे पहनाया जाता है.
शायद इस देश की मीडिया को ये भी नहीं पता होगा की भारत के हिमाचल प्रदेश के बीड़ बिलिंग में 2015 का पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप भी हो रहा है...
मंथन करते रहिये ये भी जरुरी है. अगर फुरसत मिल जाए तो अपना भी मंथन कर लेना मेरे प्यारे मीडिया।

Ravindra Jain

रविन्द्र जैन एक ऐसा नाम जिसे भारतीय संगीत की दुनिया हमेशा याद रखेगी. सफ़र कब शुरू हुआ कैसे शुरू हुआ यह बहुत पुरानी कहानी है.
रविन्द्र जैन क्लासिकल में मॉडर्न तड़का लगा कर पेश करने में माहिर थे और सब कुछ बहुत सरलता से बेहतर बना देते थे.
कवन दिशा में ले के चला रे बटोहिया से रास्ता पूछते पूछते ये कहने लगे की जब शाम ढले आना, जब दीप जले आना... फिर इन्होंने ने एलान कर दिया कि घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ मै, कभी इस पग में कभी उस पग में बंधता ही रहा हूं मै. इस गाने में दर्द था, यह गाना अपने आप में बहुत कुछ समेटे हुए है. आज भी जब यह गाना बजता है तो इस गाने से जुड़े हर एक इंसान के सच्चाई से रुबरू करता है. चाहे वो जैन साहब हो, किशोर दा हो या संजीव कुमार. इस तरह का यथार्थ केवल रविन्द्र जैन के संगीत में ही मिला. श्याम की बंशी से राधा के नाम का पुकारना हो या मीरा और राधा को श्याम का प्रेम और दर्श दीवानी बनना हो, आँखों से न देख पाने का मलाल, कृष्ण का राधा और मीरा के प्रेम से इतने खूबसूरत लय ताल से जोड़ना और नई नवेली दुल्हन का प्यार की छाव में बिठाये रखने का एतवार किसी हकीकत से कम नहीं है, नए घर में आए एक लड़की का ये कहना और अपने पति से इतना उम्मीद करना जायज भी है. यही रविन्द्र जैन कभी लड़की को बागी भी बना देते है और कहते है कि मैंने तुझे चुन लिया तू भी मुझे चुन,सुन बाबा सुन प्यार की धुन, ये प्यार की धुन है जो बहुत कुछ करने पर मजबूर कर देता है. इसी गाने में लड़की का मनोभाव का पता चलता है जब वो कहती है की कोई हसीना कदम ऐसे बढाती नहीं, मजबूर दिल से न हो तो पास आती नहीं ये दो लाइन अपने आप में एक लड़की के प्रेम रूपी मन को बहुत ही गहराई से बयां करता है. ये रविन्द्र जैन के संगीत का जादू ही कहा जायेगा जो सरलता से बहुत गंभीर बातों को लय में हम सब के लिए परोस देते थे. उनको गोरी का गांव बहुत प्यारा लगा वही पर गोरी ने कहा कि सजना है मुझे सजना के लिए. इन गानों में महिलाओं के मनोभाव को पेश करने के साथ साथ गांव को जोड़ता हुआ गीत जो सबकी जुबा पर चढ़ जाये ये रविन्द्र जैन की कलाकारी थी. रामायण की चौपाइयों से लेकर फिल्मी धुनों तक रविन्द्र जैन बिना देखे ही बहुत कुछ दिखा कर अँखियों के झरोखों से अचानक ओझल हो गए।


Sunday, October 25, 2015

Paragliding Word Cup 2015, India

2014 में प्री पैराग्लाइडिंग विश्व कप के सफल आयोजन के बाद भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगडा ज़िले की बीड़ बिलिंग साईट पर साल 2015 का पैराग्लाइडिंग विश्व कप का शुरुआत कल 24 अक्टूबर से हो चूका है.यह आयोजन 31 अक्टूबर तक चलेगा जिसमे 35 देशों के 130 पायलट भाग  ले रहे हैं. इस पैराग्लाइडिंग विश्व कप की खाश बात यह है कि यह है कि पहली बार भारत इसका मेजबान बना है. इस विश्व कप में इसरो(ISRO) एवं DRDO के संयुंक्त प्रयास से पायलटों को ट्रैक करने के लिए स्पेशल नेविगेशन सिस्टम GAGAN(GEO AUGMENTED NAVIGATION) तैयार किया गया है जो की पूर्णतः देशी है. इस विश्व कप में पैराग्लाइडिंग से जुड़े बड़े नाम फ्रांस के जूलियन रिट्ज जो की अभी नंबर 1 है, स्लोवेनिया के विडिक जुरीज, जर्मनी के ट्रोस्टेन् सिजल् और भारत के टॉप पैराग्लाइडिंग खिलाड़ी और अनुभवी पायलट अजय कुमार टीम को लीड कर रहे है. यह विश्व कप हर साल PARAGLIDING WORLD CUP ASSOCIATION, FRANCE के तत्त्वाधान से आयोजित करवाया जाता है. साल 2014 का पैराग्लाइडिंग विश्व कप मेक्सिको के विले डे ब्रॉवो में हुआ था. PARAGLIDING WORLD CUP 2015 का शुभारंभ भारत के नगरिक उड्डयन मंत्री(CIVIL AVIATION MINISTER)  गजपति राजू ने पायलटों को झंडा दिखाकर किया।

Saturday, October 24, 2015

हम बिहार है......BIHAR

हम बिहार है
बिहार नाम ही बहुत कुछ कहता है..  स्वर्णिम इतिहास को समेटे हुए बर्तमान की कड़वी सच्चाईयों से रूबरू करता  हुआ बिहार.... ये वहीं बिहार है जहां कृष्ण सिंह के बाद और लालू राज से पहले तक शायद ही कोई मुख्यमंत्री 5 साल का कार्यकाल पूरा किया हो... ये वहीं बिहार है जहां से JP Movement की शुरुआत हुई...  ये वहीं बिहार है जिसकी गौरव गाथा गाते हुए हम हकिकत से हमेशा दूर रहें..  ये वहीं बिहार है जहां हेमा मालिनी की गाल आपको सड़कों पर दिखाने का सपना लालू जी ने दिखाया...  ये वहीं बिहार है जिसको शिल्पा शेट्टी ने एक चुम्मे पर उधार में मांग लिया...  ये वहीं बिहार है जिसको बॉलिवुड ने दिलवालों के दिल का करार लुटने के साथ साथ बिहार को भी लुटा.. ये वहीं बिहार है जिससे प्रकाश झा Creative, Subjective और Realistic Subject पर फिल्म बनाने वाले Director हो गए...  ये वहीं बिहार है जिसकी भाषागत विविधताओं को भोजपुरी खा गई..  यह वहीं बिहार है जिसके IAS & IPS के समूह को पिछड़ापन खा गया...  ये वहीं बिहार है जिसके इंजीनियर, डॉक्टर सच्चाई से दूर अमेरिका चले गए...  यह वहीं बिहार है जो आकड़ों में बहुत पढा लिखा होने के बावजूद जनगणना में सबसे कम साक्षरता का पैमाना दे गया.... यह वहीं बिहार है जिससे मारिशस, फिजी, सुरीनाम और त्रिनिदाद होने के बाद भी बिहार नहीं हो सका...  यह वहीं बिहार है जिसके रेल मंत्री रेल के पर्याय रहे...  यह वहीं बिहार है जो अपने अंह में डूबा रहा..  यह वहीं बिहार है जो आज सुखा पड़ा हुआ है..  यह वहीं बिहार है जिसके स्वर्णिम इतिहास से परे सच्चाई से जूझता हुआ आज एक बार फिर चुनाव के लिए तैयार हैं..  चुनावी मुद्दे सच्चाई और धरातल से परे अगले, पिछड़े और बीफ बन गए हैं..  इसी बीच खबर ये आइ है कि भारत दक्षिण अफ्रीका से T-20 हार गया है.. जैसा कि भारत के हार से लोगों का कोई भला बुरा नहीं होने वाला ठीक वैसे ही चुनाव के बाद कोई जीते हारे बिहार भी वैसा ही रहेगा जैसे हम, आप और सब है... न अशोक आएंगे और न ही जेपी का आंदोलन होगा..  सो आप भी मस्त रहिए, सच्चाई से दूर गौरव गाथा गाते रहिए... क्युकि यह वहीं बिहार है..................

70 साल का संयुक्त राष्ट्र (70 YEARS OF UNITED NATIONS)

संयुक्त राष्ट्र आज 70 साल का हो गया है, आज जन्मदिन है इसलिए खुशियां मनाने का समय है.आज विश्व के 60 से 70  एतिहासिक इमारतों को नीली रोशनि में सजाया जाएगा. नीली रोशनि के साथ साथ UN का आधिकारिक झंडा भी इन इमारतों पर लगाया जाएगा..... भारत का लाल कीला आज शाम में नीले रंग में सना जाएगा और आज के लिए भारत के झंडे के साथ साथ UN का झंडा भी लहराते हुए नज़र आएगा. आज केसरिया,सफेद और हरे रंग के साथ नीला रंग लाल कीला के प्राचीर से पूरे विश्व को भारत वर्ष का गौरव गाथा दिखाएगा.....
#UN_AT_70
#BLUE_LAL_KILA
पृथला, सुनपेड़, फ़रीदाबाद हरियाणा
3 दिन पहले भारत के राजधानी से 50 कीलोमीटर दूर फरीदाबाद के एक गाँव में 4 दलितों को जलाया गया जिसमे 2 बच्चो की मौत हो गई , मीडिया ने खूब हंगामा किया लोगों ने भी खूब प्रतिक्रिया दि.... मीडिया ने लोगों को सच से दूर रखा और लोगों के बीच दरार बनाने में कामयाब भी हुआ....
साल 2014 में इसी परिवार ने आज के आरोपी के परिवार के तीन लोगों को मार दिया,कोइ मीडिया और नेता उनसे मिलने नहीं गये और न ही मीडिया ने इसे मुद्दा बनाया.... आज कल मीडिया एकतरफा हो कर काम कर रहा है ये कहे तो गलत नही होगा..... पूरी कहानी कुछ इस तरह है कि जिस दिन इन लोगों को जलाया गया उस दिन कांग्रेस के पीएल पूनिया फ़रीदाबाद के उस गांव पहुचे और पहले नेता थे जो घटना स्थल पर पहुँचे और घटना का हाल जाना... उनके बयान को किसी मीडिया में जगह नहीं मिली...पूनिया ने उसी दिन बताया था कि यह मामला जात पात का नहीं,पारिवारिक हैं.... शायद इसलिए मीडिया ने इसे नहीं दिखाया की खामखा एक मुद्दा हाथ से निकल जाता.... घटना पर आते है.. आरोप यह है कि कुछ उचि जातियों के लोगों ने घर में सो रहे बीवी बच्चे और पति को पेट्रोल डाल कर उनको जला दिया गया.... जहां वो सो रहे थे वो बेड भी नही जला न पति जला ... पत्नी जली और बच्चे जल कर मर गए और एक इंसान को कुछ हुआ ही नहीं ..... हद तो देखिए जिसको मारना था उसे कुछ हुआ नहीं बच्चे मर गए और महिला भी जलि पर बच गई और जिसको मारना था उसे कुछ हुआ ही नहीं.... जिसको अपने बच्चों का मरने का दुख और पत्नी के जलने का दुख होता तो वह खुद से मुवावजा और नौकरी नहीं मांगता... और जिस समाज में मैं रहा हूँ वहां बच्चों से बढ़ कर कुछ भी नहीं पर बच्चे मर गए और पत्नी जल गई और जिसको मारना था उन्हें कुछ हुआ ही नहीं,वो बचे हुए है और नौकरी और मुआवजा मांगने में लगे है.... मैंने आज तक जितने केस देखें उसमें पीड़ित को CBI जांच की मांग करते देखा पर इस केस में आरोपी सीबीआईं जांच की मांग कर रहे हैं.... प्रदेश सरकार ने मुआवजे का एलान कर दिया है क्योंकि खूब तमाशा किया गया.... 2010 का मिर्चपुर कांड और गोहाना कांड पर न मीडिया ने ही हल्ला किया न लोगों ने .... सब के सब लोग इस घटना के लिए भाजपा पर आरोप लगा रहे और कह रहे की भाजपा सरकार के हाथ में पुलिस है और पुलिस ने इस मामले को काबू मे नहीं किया... ये वही नेता है जो यूपी में हुए दादरी, हिमाचल में हुए मामलों के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे है...जब फरीदाबाद मे हुए मामले के लिए भाजपा जिमम्मेदार है तो इन राज्यों में हुए हमलों के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराएं पर ऐसा नहीं हो रहा... सोची समझी राजनीति के तहत देश और लोगों के बिच द्वेष फैलाया जा रहा है... जो की बहुत ही गलत है... मीडिया ट्रायल होना चाहीए पर सच्चाई के साथ.... अगर आप रोज न्यूज़ चैनल देखते होंगें तो आपको समझ आया होगा की देश के दो बड़े न्यूज़ चैनल किस तरह अचानक बदल गए हैं.... क्या ये सब सोची समझी रणनीति का हिस्सा नहीं है ... क्या इनके पीछे कोई राजनीतिक ताकते काम नहीं कर रहीं है... जो भी हो आप सावधान रहिये और सच्चाई को जानने की कोशिश करते रहीए..... नेता, मीडिया और न्यूज़ माध्यम हमे सच्चाई से दूर कर के समाज में द्वेष फैलाना चाहते है.... इसलिए आपको, हमको सावधान रहने की जरूरत है....

Friday, January 16, 2015

मजा

मजा तो तब आए जब अपना कोई अपना ले... 

चांद और तुम...

चांद बादलों में जब लुका छिपी दिखाता है
तब तुम्हारा रूठना मेरा मनाना याद आता है...