Wednesday, February 3, 2016

Former Loksabha Speaker Balram Jakhar No More, Read Facts About His Life

पूर्व लोकसभा स्पीकर, मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बलराम जाखड़ को भारतीय राजनीतिक जगत में अपनी पैठ और खास पहचान रखने के लिए याद किया जाएगा। डॉ. बलराम जाखड़ ने बुधवार को 92 बसंत देखने के बाद दिल्ली में आखिरी सांस ली, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। जमीन और मुद्दों की जड़ों से जुड़े सर्वमान्य नेता बलराम जाखड़ के जीवन से जुड़ी कुछ बाते हम आपको बता रहे हैं जो आपको जरूर जानना चाहिए।

पांच भाषाएं जानते थे जाखड़
उनका जन्म 23 अगस्त 1923 को तत्कालीन पंजाब में फजिल्का (अब अबोहर) जिले के पंचकोसी गांव में हुआ था। वह जाखड़ वंश के जाट परिवार में पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम चौधरी राजाराम जाखड़ और मां का नाम पातोदेवी जाखड़ था। बलराम जाखड़ ने 1945 में फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज, लाहौर (अब पाकिस्तान) से संस्कृत में डिग्री प्राप्त की। इसके अलावा उन्हें अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू और पंजाबी भाषा का भी अच्छा ज्ञान था।

दो बार रहे लोकसभा स्पीकर
साल 1972 में विधानसभा में चयनित होने के साथ बलराम जाखड़ के राजनैतिक जीवन की शुरूआत हुई। 1977 में दोबारा जीत दर्ज करने के बाद उन्हें नेता विपक्ष का पद मिला फिरोजपुर संसदीय क्षेत्र से साल 1980 में सातवीं लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद बलराम जाखड़ को लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया। अगली बार आठवीं लोकसभा चुनावों में भी वह सीकर संसदीय क्षेत्र से चुनकर आए और दोबारा लोकसभा स्पीकर बने। साल 1980 से 1989 तक लोकसभा अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने लोकसभा की लाइब्रेरी विकसित की और रिसर्च को बढ़ावा दिया। पार्लियामेंट से जुड़ी चीजों का म्यूजियम, तथ्यों का कंप्यूटराइजेशन, मशीनों का ऑटोमेशन वगैरह करवाने में उनकी बड़ी भूमिका रही।

राष्ट्रमंडल सांसद कार्यकारी फोरम के पहले एशियाई सभापति
डॉ. बलराम जाखड़ एशियाई मूल के पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें राष्ट्रमंडल सांसद कार्यकारी फोरम के सभापति के रूप में चयनित किया गया।

एमपी में राजनीतिक उठापटक के गवाह रहे थे जाखड़
1991 में बलराम जाखड़ केंद्रीय कृषि मंत्री भी बनाए गए। इसके अलावा वह 30 जून, 2004 से 30 मई, 2009 तक मध्य प्रदेश के राज्यपाल के रूप में भी एक सफल कार्यकाल पूरा किया। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने कई राजनीतिक उठापटक भरे दिन भी देखे।  उन दिनों भाजपा नेत्री उमा भारती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं। अगस्त 2004 में कर्नाटक के हुबली में सांप्रदायिक झगड़े के आरोप में तत्कालीन मुख्यमंत्री उमा भारती के खिलाफ वारंट जारी हो गया। जिसके बाद उमा ने बलराम जाखड़ को इस्तीफा सौंप दिया था। उमा भारती के बाद भाजपा नेतृत्व ने गृहमंत्री बाबूलाल गौर को प्रदेश के मुख्यमंत्री के योग्य माना और राज्यपाल बलराम जाखड़ ने गौर को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। हालांकि, गौर भी ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री नहीं रह सके। भारतीय जनता पार्टी में चल रहे आंतरिक घमासान के बाद शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी की गई। इस पूरे घटनाचक्र के तत्कालीन राज्यपाल बलराम जाखड़ गवाह रहे थे।

किसानी करने के शौकीन थे जाखड़
पेशे से कृषक और बागवानी करने के शौकीन रहे बलराम जाखड़ पीपुल, पार्लियामेंट और एडमिनिस्ट्रेशन नाम की एक किताब के लेखक भी रहे। वर्ष 1975 में बागवानी की प्रक्रिया को सशक्त बनाने के कारण भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ने बलराम जाखड़ को उद्यान पंडित की उपाधि से नवाजा था। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटी ने भी उन्हें कृषि जगत में योगदान के लिए सम्मानित किया था।

परिवार भी राजनीति में
डॉ. बलराम जाखड़ के दोनों बेटे राजनीति में शामिल हुए। बड़े बेटे सज्जन कुमार जाखड़ पंजाब के पूर्व मंत्री हैं। दूसरे बेटे सुरिंदर कुमार जाखड़ की गोली लगने से 17 जनवरी 2011 को फिरोजपुर में मौत हो गई।

गौरतलब है कि 92 वर्षीय कांग्रेस नेता बलराम जाखड़ लंबे समय से ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी से जूझ  रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को पंजाब के अबोहर ले जाया जाएगा, जहां उनके पैतृक गांव पंचकोशी में गुरूवार को अंतिम संस्कार होगा।

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